चांदिपुरा वायरस: संपूर्ण जानकारी 3 राज्य, 15 मौतें

1. चांदिपुरा वायरस क्या है?

चांदिपुरा वायरस (CHPV) एक वेसीकुलोवायरस है जो मनुष्यों में गंभीर मस्तिष्क ज्वर (इन्सेफलाइटिस) का कारण बनता है। यह वायरस पहली बार 1965 में महाराष्ट्र के चांदिपुरा गांव में पहचाना गया था और इसके बाद से यह विभिन्न प्रकोपों के लिए जाना जाता है।

2. लक्षण

  • अचानक तेज बुखार
  • उल्टी और दस्त
  • गंभीर सिरदर्द
  • मानसिक भ्रम और बेहोशी
  • मिर्गी के दौरे
  • मस्तिष्क ज्वर के कारण गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षण

3. उपचार

चांदिपुरा वायरस का कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है। उपचार में मुख्यतः लक्षणों को नियंत्रित करने और रोगी को सहायक देखभाल देने पर ध्यान दिया जाता है। मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने के लिए एंटीकोन्वल्सेंट दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। रोगी को हाइड्रेटेड रखने और बुखार को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए जाते हैं।

4. कैसे फैलता है यह वायरस?

  • मुख्य वाहक: यह वायरस फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाइज (Phlebotomine sandflies) और फ्लेबोटोमस पापटासी (Phlebotomus papatasi) प्रजातियों के माध्यम से फैलता है।
  • मच्छर प्रजाति: एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर भी इस वायरस को फैलाने में सक्षम हैं, जो डेंगू बुखार के फैलने का भी कारण बनते हैं।
  • प्राकृतिक जलाशय: यह वायरस ट्रिपैनोसोमा क्रूजी (Trypanosoma cruzi) जैसे परजीवियों के लिए प्राकृतिक जलाशयों में पाया जा सकता है।
  • संक्रमण का तरीका: जब संक्रमित कीड़े इंसानों या बिल्ली जैसे अन्य जानवरों को काटते हैं, तो यह वायरस फैलता है।

5. सावधानियां

  • मच्छरदानी का उपयोग करें और मच्छर प्रतिरोधी क्रीम का उपयोग करें।
  • बच्चों को मच्छरों से बचाने के लिए पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनाएं।
  • घर के आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों की प्रजननस्थली हो सकती है।
  • संदिग्ध क्षेत्रों में यात्रा करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतें।
  • समुदाय स्तर पर मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव और स्वच्छता बनाए रखें।

6. सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • राज्य सरकारें प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक सर्वेक्षण और निगरानी कार्यक्रम चला रही हैं।
  • मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है।
  • स्वास्थ्य विभाग द्वारा सार्वजनिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को सावधानियां बरतने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • संदिग्ध मामलों की जांच और रिपोर्टिंग के लिए विशेष स्वास्थ्य टीमों की नियुक्ति की गई है।
  • संक्रमित व्यक्तियों की त्वरित पहचान और उपचार के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है।

7. भारत में चांदिपुरा वायरस के प्रकोप

  • 1965: महाराष्ट्र के चांदिपुरा गांव में पहला प्रकोप।
  • 2003: आंध्र प्रदेश में बच्चों में बड़ा प्रकोप।
  • 2004 और 2007: गुजरात और महाराष्ट्र में मामलों की सूचना।
  • 2024: गुजरात में 12 मामलों की पुष्टि और 6 मौतें दर्ज की गईं।

चांदिपुरा वायरस का प्रकोप एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है, और इसके प्रसार को रोकने के लिए सामुदायिक जागरूकता और सक्रिय सरकारी कदम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जागरूकता, सतर्कता और स्वास्थ्य सेवाओं की त्वरित प्रतिक्रिया इस वायरस से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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